चेक के बारे में हम सब लोगों को पता होगा कि चेक क्या होता है? हम सब लोग daily अपनी लाइफ में चेक इशू करते हैं. आजकल सभी लेन-देन चेक के माध्यम से ही होते हैं, बल्कि अपने घर के कुछ ट्रांजैक्शन चेक के माध्यम से ही किए जाते हैं जैसे बच्चों की स्कूल फीस हम चेक के माध्यम से कर सकते हैं या करते हैं, लाइट व टेलीफोन का बिल भी चेक के माध्यम से ही भरते हैं. अगर हमने लोन लिया है तो उसमें भी हम चेक जमा करते हैं.
आज हम जानेंगे कि अगर आपको किसी पार्टी ने चेक दिया है अगर वह चेक बाउंस हो जाता है, तो आपके पास कौन सी ऐसी लीगल रेमेडीज होती है जिस से आप अपना पैसा रिकवर कर सकते हैं तो इस Blog को एंड तक पड़ते रहिये ये आपके बहुत काम आ सकता है अगर Blog पसंद आये तो इस blog को Comment जरूर कीजिये.
चेक बाउंस होने के कारण?
- पहला कारण हो सकता है कि चेक पर जो साइन किए हैं वह साइन सही तरीके से मैच नहीं हो रहे हैं तब वह चेक बाउंस हो जाएगा.
- दूसरा कारण अगर चैक पर ओवर राइटिंग कर दी है तब भी चेक बाउंस हो जाएगा.
- आपको मालूम होगा कि बैंक ने चेक कि जो वैलिडिटी रखी है वह 3 माह की रखी है अगर आप चेक को उस पर लिखी हुई डेट के 3 महीने बाद बैंक में लगाते हैं तब भी वह चेक बाउंस हो जाएगा.
- अगर आपका अकाउंट बैंक से क्लोज हो गया है और आपने किसी पार्टी को चेक दिया है तब भी वह चेक बाउंस हो जाएगा.
- अगर आपने चेक पर जो राशि लिखी है वह राशि अगर आपके अकाउंट में नहीं है उस कंडीशन में भी आपका चेक बाउंस हो जाएगा.
- आपके पास जो चेक है उसको आप बैंक में लगा रहे हैं लेकिन सामने वाले पार्टी ने उस चेक को स्टॉप करवा दिया है तब वह चेक बाउंस हो जाएगा.
- अगर आपने चेक पर अमाउंट की जो राशि है वह अलग रख लिख रखी है लेकिन वर्ड्स में उस अमाउंट को कुछ और लिखा हुआ है तब भी वह चेक बाउंस हो जाएगा
- अगर चेक किसी कंपनी का है और उस चेक पर साइन तो है लेकिन उस कंपनी की सील नहीं लगी है तो वह चेक बाउंस हो जाएगा.
मानलो आपको किसी पार्टी ने चेक दिया है और उस चेक को आप बैंक में लगाते हैं और अगर चेक बाउंस हो जाता है Fund in sufficient के कारण तो बैंक आपको bounce हुआ cheque और उसके साथ उसकी रिसिप्ट जिसमें बैंक bounce का कारण लिखा हुआ होता है वह आपके एड्रेस पर भिजवा देती है.
अब आपको क्या करना है, आप उस पार्टी से बात करेंगे कि आपने जो चेक दिया था वह बाउंस हो गया है अब आप मेरा पेमेंट कैसे दोगे? तब पार्टी और आप के बीच जिस तरह का भी सेटलमेंट होगा वह आप उस तरीके से कर सकते हैं. जैसे पार्टी आपको दूसरा चेक दे दे या पार्टी आप से कहती है की पहले मेरे पास वह फंड नहीं था अब हमने फंड की व्यवस्था कर ली है आप उस चेक को दोबारा से लगा दीजिए इस बार मैं पैसा डलवा दूंगा आपका चेक क्लियर हो जाएगा.
आप दूसरी बार भी चेक लगाएं अगर चेक पास हो गया तब तो अच्छी बात है. लेकिन अगर चेक दोबारा से बाउंस हो गया तब आप सोचेंगे कि क्यों ना इसके खिलाफ लीगल एक्शन लेना चाहिए, तभी आप अपने पैसे की रिकवरी कर पाएंगे.
वैसे तो लीगल एक्शन उस वक्त भी ले सकते थे जब पहली बार पार्टी का चेक बाउंस हुआ था.
अब करना क्या है चेक बाउंस होने के 30 दिन के अंदर आपको उस पार्टी को जिसने आपको चेक दिया था उसे लीगल नोटिस भिजवाना होता है. वह लीगल नोटिस आप खुद भी ड्राफ्ट कर सकते हैं या किसी एडवोकेट या वकील से भी बनवा सकते हैं. और पार्टी के एड्रेस पर रजिस्ट्री पोस्ट से भिजवाना होता है अब पार्टी को आपका लीगल नोटिस मिलेगा तो मिलने की डेट से 15 दिन का उसके पास समय होता है आपके लीगल नोटिस का जवाब देने के लिए.
अगर वह अगले15 दिन मैं भी आपका पेमेंट ना करें तो आप नेगोशिएबल एक्ट सेक्शन 138 के तहत आप उस पार्टी के खिलाफ केस फाइल कर सकते हैं. यह केस आपके लिए बैंक के इलाके में लगने वाले कोर्ट में ही जाकर करना होता है. अब आप यह सोचेंगे कि कोर्ट कचहरी के चक्कर में पढ़ेंगे तो बहुत सारा खर्च हो जाएगा तो मैं आपको यह बता दूं कि चेक bouncing के केस में ज्यादा खर्चे नहीं होते जो भी आपका खर्चा होता है वह सिर्फ वकीलों का होता है इसके अलावा छोटे-मोटे खर्चे होते हैं.
अब आप यह पूछेंगे कि कितना समय लग जाता है किसको सेटल होने में तब डिपेंड करता है कि आप का चेक का अमाउंट कितना है. दूसरा आपने वकील कैसा लिया है. लेकिन ज्यादातर चेक के केस 3 से 6 महीने में सॉल्व हो जाते हैं कुछ एक केस ही ऐसे होते हैं जो सालों चलते हैं.
एक बात बता दूं कि केस जीतने के बाद आपका जो चेक अमाउंट था वह तो आप रिकवर कर ही सकते हैं साथ ही वह भी पैसा आप रिकवर कर सकते हैं जो केस को लड़ने में आपने खर्च किया, जैसे वकील की फीस देने में, लीगल नोटिस भेजने में और भी जो भी आपके खर्चे हैं वह सब कोर्ट आपको दिलवाती है पार्टी से.
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