नव दुर्गा पर्व का महत्व, तथा पूजन

Plus

Nav Durga Festival 2022

नवरात्रि 2022

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वर्ष मे 4 नवरात्री होती है. 2 मुख्य नवरात्रि तथा 2 गुप्त नवरात्रि. 2 मुख्य नवरात्रि में से एक तो जो पित्र पक्ष के समाप्त होने पर आश्विन मास मे प्रारंभ होती है तथा दूसरी जो की हिंदू नववर्ष चैत्र मे प्रारंभ होती है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि का महत्व शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के बराबर ही होता है। खासकर तंत्र मंत्र की साधना करने वाले लोगों के लिए गुप्त नवरात्र बेहद खास होती हैं।

नवरात्री नवदुर्गा पूजा महत्व

दुर्गा पूजा को मनाए जाने के कारण भी अलग-अलग है. कई लोगो की मान्यता है, कि देवी दुर्गा ने इस समय महिशासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसलिए बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप मे दुर्गा पूजा मनाई जाती है। 

माता शैलपुत्री – पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है। माता ने अपने इस रूप मे शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था। माता अपने इस रूप मे बैल पर विराजमान है। उनके एक हाथ मे त्रिशूल और दूसरे हाथ मे कमल का फूल है। मान्यता यह है की माता दुर्गा के इस रूप की पूजा अच्छी सेहत के लिए विशेष लाभदायी है। 

नवरात्री के नौ अवतार

–दूसरा दिन माता ब्रहमचारिणी की पूजा का होता है. माता ने अपने इस रूप मे भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था । इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाया जाता है तथा इसी का दान किया जाता है. माता के इस रूप का पूजन  लंबी आयु प्राप्त करने के लिए किया जाता है। 

माता ब्रांहमचारिणी

यह मां दुर्गा का तीसरा रूप है। माथे पर अर्धचंद्राकार का घंटा विराजमान होने की वजह से इन्हें चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। दस हाथों के साथ मां अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित हैं। इनकी पूजा करने से वीरता, निर्भयता के साथ ही सौम्यता का प्रसार होता है। इनका वाहन शेर है। राक्षस महिषासुर का वध देवी चंद्रघंटा ने ही किया था।

मां चंद्रघंटा

यह मां दुर्गा का चौथा रूप है। कूष्मांडा शब्द दो शब्दों यानि कुसुम मतलब फूलों के समान हंसी और आण्ड का अर्थ है ब्रह्मांड। अर्थात वो देवी जिन्होनें अपनी फूलों सी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। साथ ही हाथ में अमृत कलश भी है। मां की पूजा करने से यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है।

मां कूष्मांडा

यह मां दुर्गा का पांचवा रूप है। भगवान शिव और माता पार्वती के छह मुखों वाले पुत्र स्कंद की मां होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी चार भुजाएं हैं जिनमें एक में इन्होनें एक हाश में स्कंद को, दूसरे में कमल का फूल पकड़ा है। ये कलम के आसन पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। इनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग आसान होता है। 

मां स्कंदमाता

Terrain Map

माता दुर्गा का छठा रूप है मां कात्यायनी का। कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लेने से इनका नाम कात्यायनी पड़ा। स्वर्ण से चमकीले रंग वाली देवी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी पूजा करने से चारों पुरुषार्थों यानि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मां कात्यायनी

यह मां दुर्गा का सातवां रूप है। मां कालरात्रि असुरों का नाश करने वाली हैं। इनके तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं। इनका वाहन गधा है। 

 मां कालरात्रि

यह मां दुर्गा का आठवां रूप है। इनके वस्त्र, आभूषण और वर्ण सभी सफेद रंग के हैं। इनका वाहन वृषभ यानि बैल है। मां की चार भुजाएं हैं।

 मां महागौरी 

यह मां दुर्गा का नवां रूप है। यह सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। कमल पिष्प पर विराजमान देवी सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। सभी सिद्धियों को मां सिद्धिदात्री की पूजा से प्राप्त किया जा सकता है।

मां सिद्धिदात्री