Kaushal Sharma March 17, 2019
What in Internet

आज के समय मे इंटरनेट शब्द से सभी लोग परचित है, इंटरनेट का जाल सम्पूर्ण संसार मे फैला हुआ है। इंटरनेट का विकास व इसकी उपयोगिता दिन पर दिन बड़ती ही जा रहीं है।

इंटरनेट(Internet) क्या है ?

यह इंटरनेशनल नेटवर्किंग (International Networking) का संक्षिप्तकार है। यह दुनियाभर में फैले हुए छोटे-बड़े कम्प्यूटरों का विशाल व विश्वव्यापी जाल (Global Network) है, जो विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा समान नियमों (Protocols) का अनुपालन कर एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करते हैं तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव बनाते हैं।

यह नेटवर्कों का नेटवर्क है। यह संसार का सबसे बड़ा नेटवर्क है जो दुनियाभर में फैले व्यक्तिगत, सार्वजनिक, षैक्षिक, व्यापारिक तथा सरकारी नेटवर्कों के आपस में जुड़े होने से बनता है।
किसी कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता (Internet Service Provider) की सेवा लेनी पड़ती है। टेलीफोन लाइन या वायरलेस तकनीक द्वारा कम्प्यूटर को इंटरनेट सेवा प्रदाता के सर्वर से जोड़ा जाता है। इसके लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता को कुछ षुल्क भी देना पड़ता है।

दुनिया के अनेक सर्वर सैटेलाइट या अन्य संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव बनाते हैं। वल्र्ड वाइड वेब के विकास तथा ज्ब्च्ध्प्च् के द्विस्तरीय नियमों के परिपालन ने Internet को नया आयाम प्रदान किया हैं।

इंटरनेट की खोज किसने की

इंटरनेट की खोज करना किसी एक व्यक्ति की बात नहीं थी बल्कि इसकी खोज कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा की गई। 1957 में शीतकालीन युद्ध के दौरान, अमेरिका ने एक तरकीब सुझाई और एक ऐसी तकनीक बनाने का निर्णय लिया जिसके बाद आप एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर को आसानी से जोड़ने में सक्षम हो सके। जिसका सुझाव हर किसी को अच्छा लगा और उन्होंने उसे पास कर दिया अब वो सुझाव आज के समय में काम आ रहा है। 1980 उसका नाम इंटरनेट रखा गया। इसको आजकल के समय में लोगों की लाइफलाइन कहा जाता है।

इंटरनेट का विकास (Development of Internet)

इंटरनेट की स्थापना का विचार सर्वप्रथम 1962 में प्रो. जे. सी. लिक्लाइडर ने दिया था। इसी कारण इन्हें इंटरनेट का जनक भी माना जाता है। उन्होंने कम्प्यूटर की एक विशव्यापी अंतरसंबंधी श्रृृंखला की कल्पना की थी जिसके जरिए आंकड़ों और कार्यक्रमों को तत्काल प्राप्त किया जा सकता था।

इंटरनेट का प्रारंभ 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा अर्पानेट (ARPANET-Advanced Research Project Agency Net) के विकास से किया गया। अर्पांनेट को दुनिया का पहला नेटवर्क कहा जाता है जिसमें चार दूरस्थ कम्प्यूटर आपस में जोड़े गए थे। अगले 20 वर्षों तक इंटरनेट का प्रयोग रक्षा और अनुसंधान तथा षिक्षा संस्थानों में ही होता रहा। 1989 में इंटरनेट को आम जनता के लिए खोल दिए जाने से इसका उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए किया जाने लगा तथा इसके क्षेत्र में व्यापक वृद्धि हुई।

1990 में टिम बर्नर ली द्वारा वल्र्ड वाइड वेब (world wide web) के आविष्कार ने इंटरनेट को नया आयाम प्रदान किया। ओपन आर्किटेक्चर नेटवर्किंग द्वारा टीसीपी/आइपी (TCP/IP) के द्विस्तरीय नियमों के परिपालन ने सूचनाओं का आदान-प्रदान सुविधाजनक बनाया।

इंटरनेट के उपयोग (Uses of Internet)

1. इलेक्ट्रानिक मेल (Electronic Mail) –

इसे ई-मेल (म.उंपस) या इलेक्ट्रोनिक मेल भी कहा जाता है। यह इंटरनेट पर प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय व्यवस्था है जिसके द्वारा कम खर्च में तीव्र गति से सूचनाएं भेजी जा सकती हैं। इसके द्वारा कोई व्यक्ति इंटरनेट पर दूसरे व्यक्ति को संदेश भेज सकता है।

ई-मेल की तुलना परम्परागत डाक व्यवस्था से की जा सकती है। ई-मेल की सुविधा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक उपभोक्ता का एक ई-मेल एड्रेस (e-mail Address) होता है जिसे ई-मेल खाता (e-mail Account ) खोलकर प्राप्त किया जा सकता है। उपयोगकर्ता अपने ई-मेल एड्रेस तथा पासवर्ड के सहारे ई-मेल सुविधा में घुसता है जिसे लाॅग इन (Login) कहते हैं।
ई-मेल संदेश में शब्द, ग्राफ, चित्र, ध्वनि या चलचित्र कुछ भी हो सकता है। संदेश के साथ किसी अन्य फाइल को जोडा जा सकता है। जिसे अटैचमेंट कहते हैं।
भारत मंे ई-मेल खाता (e-mail account) प्रदान करने वाले प्रमुख वेबसाइट हैं-

  • www.yahoomail.com
  • www.hotmail.com
  • www.rediffmail.com
  • www.india.com
  • www.gmail.com

2. वल्र्ड वाइड वेब (world wide web) –

यह हाइपर टेक्स्ट द्वारा आपस मे जुड़े हुए सूचनाओं का विशाल समूह है जिसे इंटरनेट पर वेब ब्राउसर की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
सामान्यतः वल्र्ड वाइड वेब तथा इंटरनेट का एक ही अर्थ लगाया जाता है। पर वास्तव में वल्र्ड वाइड वेब इंटरनेट का एक उपयोग मात्र है।

वल्र्ड वाइड वेब पर प्रत्येक पेज “वेब पेज” कहलाता है। ये वेब पेज एचटीएमएल (Hyper Text Markup Language) में लिखे जाते हैं। वह स्थान जहां ये वेब पेज संग्रहित रखे जाते हैं, वेबसाइट (ॅमइेपजम) कहलाता है। प्रत्येक वेबसाइट का प्रथम पृष्ठ, जो उसके अंदर स्थित सूचनाओं की सूची प्रदान करता है, होम पेज (Home Page) कहलाता है। किसी वेब साइट को खोलने पर सबसे पहले होम पेज दिखाई देता है। इंटरनेट पर वेब पेज से संपर्क करने के लिए एचटीटीपी (Hyper Text Transfer Protocol) का प्रयोग किया जाता है। इस प्रोटोकाल से इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाला कम्प्यूटर वेब सर्वर Web Server) कहलाता है जबकि उसका उपयोग करने वाला वेब क्लाइंट Web Clint) कहलाता है।

3. फाइल ट्रांसफर प्रोटोकाल (FTP-File Transfer Protocol):

यह इंटरनेट पर प्रयुक्त एक नेटवर्क प्रोटोकाल है जिसके द्वारा किसी कम्प्यूटर से फाइल (सूचना या डाटा) को इंटरनेट से जुड़े दूसरे कम्प्यूटर तक स्थानान्तरित किया जा सकता है। फाइल में टेक्स्ट, ग्राफ, चित्र, ध्वनि या चलचित्र हो सकता है।

फाइल स्थानान्तरण के लिए दूरस्थ कम्प्यूटर से लाॅग इन द्वारा संपर्क स्थापित किया जाता है। इसके बाद फाइल को अपलोड या डाउनलोड किया जा सकता है। फाइल ट्रांसफर के लिए उपयोगकर्ता के पास दूरस्थ तक जाने का अधिकार होना आवशकर्ता के पास दूरस्थ कम्प्यूटर तक जाने का अधिकार होना आवश्यक है।

4. वीडियो काॅन्फरेंस (Video Conference):

यह एक तकनीक है जिसकी सहायता से दो या अधिक दूरस्थ स्थानों पर स्थित व्यक्ति आपस में दृष्य तथा श्रव्य (Video and Audio) संचार स्थापित करते हैं मानो वे एक साथ बैठे हों। इसमें नेटवर्क तथा कम्प्यूटर (माइक, स्पीकर, कैमरा) का प्रयोग किया जाता है।

5. टेलीनेट (Telnet):

इस सुविधा के द्वारा किसी स्थानीय कम्प्यूटर द्वारा इंटरनेट से जुड़े दूसरे कम्प्यूटर पर कार्य तथा उसके संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। इसे रिमोट लाॅग इन (Remote Login) भी कहते हैं।

इस सेवा के उपयोग के लिए उपभोक्ता के पास दूरस्थ कम्प्यूटर का लाॅग इन नेम (स्वह वद छंउम) तथा पासवर्ड होना जरूरी है। लाॅग इन करने के बाद उपभोक्ता दूरस्थ कम्प्यूटर पर वह सभी कार्य कर सकता है जो वह पास बैठकर कर सकता था।

6. चैटिंग (Chatting):

इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर द्वारा दो व्यक्तियों का आपस में बातचीत करना चैंटिग कहलाता है। इसके द्वारा दूर बैठे व्यक्ति के साथ चैट सर्वर के जरिए संपर्क स्थापित कर की बोर्ड के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है।

7. आरकुट (Orcut):

यह एक सोषल नेटवर्किंग साइट है जिसे Google Inc द्वारा संचालित किया जाता है। इससे नये दोस्त बनाए जा सकते हैं तथा पुराने दोस्तों के संपर्क में रहा जा सकता है।

8. फेसबुक (Facbook):

यह एक सोषल नेटवर्किंग साइट है जिसमें इंटरनेट के जरिए दोस्त बनाने तथा उन्हें संदेष भेजने का कार्य किया जाता है। फेसबुक का सदस्य स्वयं के फोटो व अन्य जानकारी के साथ एक वेब पेज तैयार करता है तथा अपने बारे में वर्तमान की घटनाओं से अवगत कराता है। इसके द्वारा हम दोस्तों व परिचितों के बारे में नयी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा नये दोस्त भी बना सकते हैं। 13 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है।

फेसबुक का आरंभ मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg ) द्वारा किया गया तथा इसे Facebook Inc कम्पनी द्वारा चलाया व नियंत्रित किया जाता है।

9. ट्विटर (Twiter):

यह Social Networking Site का एक उदाहरण है। इसे माइक्रोब्लागिंग भी कहा जाता है। यह इंटरनेट के जरिए दुनियाभर
में अपने मित्रों, शुभचिंतकों या फाॅलोवर्स को ट्विट या संदेश भेजने का सुविधाजनक व तीव्र जरिया है। ट्विट टेक्स्ट आधारित छोटा संदेश है जिसमें अधिकतम 140 अक्षर हो सकते हैं। किसी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उस साइट पर जाने वालों को फालोवर्स कहा जाता है। ट्विटर का उपयोग किसी विषय पर फालोवर्स की राय जानने, उन्हें संदेष पहुंचाने, पसंदीदा मित्र बनाने, मनोरंजन तथा विज्ञापन आदि के लिए किया जा रहा है।

ई-कामर्स (E-Commerce):

किसी प्रकार के व्यवसाय को संचालित करने के लिए इंटरनेट का उपयोग ई-कामर्स कहलाता है। इसमें इंटरनेट के माध्यम से आपस में संपर्क स्थापित कर वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रयए उत्पादों का विज्ञापन तथा उनके बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। आॅनलाइन शाॅपिंग (Online Shopping) भी ई-कामर्स का एक उदाहरण है।

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